यह जनता का जनादेश नहीं सांकेतिक आपातकाल है।
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हमारे पास बहुत सारे ढर्रे हैं। लेकिन इस बार जनता ने सारे पासे उलट दिए। राजनीतिक विश्लेषकों का ज्ञानधारी कुनबा अपने ज़बान सहित मूकदर्शक है। अविचारी समाचार-चैनलों के चेहरे पर हवाइंया उड़ रही हैं। अख़बारों में ‘जीती आप, बाकी साफ’ के उद्घोष हैं। राजनीति ने भारत के असली रंग-मिज़ाज को देख लिया है। सभी पार्टियों की चूलें हिली हैं। हम-आप-सब जो गणित में आंकड़े उलीचते हैं; जबर्दस्त मुंह की खा गए हैं। यह जनता का जनादेश नहीं सांकेतिक आपातकाल है। यह जनता द्वारा लागू किया गया धारा 144 है। यह उस जनता का निर्णायक निर्णय है जिसके सामने हर पार्टियां चुहेदानी रखती हैं और सलीब पर रोटी टांगकर अपने पास दावत के लिए आमंत्रित करती है।
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