सावधान! आगे मीडिया है
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वर्तमान मीडिया के चरित्र, नियत और रवैए पर
संचार मनोभाषाविज्ञानी शोधार्थी
राजीव रंजन प्रसाद
की
विचारपरक तथा विश्लेषणात्मक टिप्पणी
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(संक्षिप्त अंश)
देह की कीमत है, तो जवाबदेही की भी कीमत है। देह बेचना लोकल भाषा या समाज की निगाहबानी में ‘वेश्या’ होना है, तो कमाई और मुनाफे के मोह-लालच में अपनी पत्रकारीय चेतना को गिरवी रखना भी निश्चित तौर पर देहधंधा है। इस धंधे के मास्टरमाइंट हैं; वे संस्थान और उसके कर्ता-धर्ता जो हर किसी को मीडियावी सिद्धान्त रटाकर, पढ़ाकर अथवा मीडियावी जुमलों-मुहावरों में बातचीत करना सिखा कर उन्हें इस ग़लीज पेशे में धकेल रहे हैं और अपना हित साध रहे हैं। अपना बेशकीमती समय, चेतना और विवेक निवेश कर यदि कोई मीडिया का विद्यार्थी दोराहे पर खड़ा हो, तो उसे अपने जीने की जुगत पहले करना होती है; पत्रकारीय ईमान-धर्म की रक्षा-सुरक्षा की बात बाद में। आज मीडिया इन्हीें मौकों का फायदा उठाकर नए-नवेले मीडिया विद्यार्थियों को अपने मोहजाल और सम्मोहन में फांस रहा है; जिनके लिए दौलत ही सबकुछ है।....
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