दरख़्त की शादी
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मैं अपने बच्चों सहित दरख़्त की शादी में शामिल हुआ, तो बहुत सारे लोग पेड़ों के झुरमुट में खड़े दिखाई दिए। पूरा जंगल उस दरख़्त के आस-पास खड़ा था। नई नवेली पतियां अपने हिलोरे से मौसम को हवा झल रही थी। ओस की बुंदों ने धूप का गला तर कर दिया था। पत्थरों पर छाया मुस्तैदी से विराजमान थी। हम कुछ देर ठहरें। बहुत कुछ खाए-पीए। मजे और सैर-सपाटे भी की। फिर इधर-उधर बिखरे सामानों को एक जगह बटोरा और उसमें आग लगा दी। कुछ देर बाद चारो ओर का माहौल साफ-सुथरा हो गया। हमने दरख़्त को शुभकामना अता की और फिर सपरिवार घर लौट आए। दिन भर के इस कार्यक्रम के कारण रात को नींद खूब मजे की आई। सुबह सभी अपने-अपने काम में जुट गए।
जिस दिन मैं मरूंगा, ये ही दरख़्त अपनी भुजा काटकर मेरी चित्ता सजाएंगे।
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मैं अपने बच्चों सहित दरख़्त की शादी में शामिल हुआ, तो बहुत सारे लोग पेड़ों के झुरमुट में खड़े दिखाई दिए। पूरा जंगल उस दरख़्त के आस-पास खड़ा था। नई नवेली पतियां अपने हिलोरे से मौसम को हवा झल रही थी। ओस की बुंदों ने धूप का गला तर कर दिया था। पत्थरों पर छाया मुस्तैदी से विराजमान थी। हम कुछ देर ठहरें। बहुत कुछ खाए-पीए। मजे और सैर-सपाटे भी की। फिर इधर-उधर बिखरे सामानों को एक जगह बटोरा और उसमें आग लगा दी। कुछ देर बाद चारो ओर का माहौल साफ-सुथरा हो गया। हमने दरख़्त को शुभकामना अता की और फिर सपरिवार घर लौट आए। दिन भर के इस कार्यक्रम के कारण रात को नींद खूब मजे की आई। सुबह सभी अपने-अपने काम में जुट गए।
posted by issbaar @ 8:00 PM 0 Comments
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